एलोपैथी ,महामारी ,नैतिकता और हम
यह सच है की सर्जरी में जो महारत एलोपैथी को हासिल है वो किसी और को नहीं है। लेकिन क्या इस कारण चिकित्सा की अन्य पद्धतियों को नज़रअंदाज़ करके और सिर्फ एलोपैथी को ही चिकित्सा का सबसे बड़ा माध्यम बनाके हमने सही किया है ?महामारी के इस दौर में यह सवाल और भी ज़्यादा महत्व रखता है ,क्युकी अगर सबकुछ इतना ही बेहतर होता तो हमारे इतने अपनों ने दम नहीं तोडा होता। कई घरो में तो ये हालत है की न ही जान बच पाई न ही पैसा ,क्युकी इलाज के नाम पर लाखो रुपये का बिल भी दिया गया और साथ में किसी अपने की लाश भी। इसका ताज़ा उदाहरण इंदौर में तब देखने को मिला जब यहाँ के नामी अस्पताल "सी एच एल"ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए 50 लाख का बिल बनाकर दिया। इस तरह का बिल देश की लगभग 80 प्रतिशत जनता चुकाने में समर्थ नहीं है। कोरोना महामारी के बाद ब्लैक,वाइट और येलो फंगस जैसी भीषण महामारी के उदय ने इस सवाल को और भी गहरा कर दिया है। महामारी इसलिए क्युकी देश के कई राज्य ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके है।डॉक्टर्स का कहना है कि इसके कुछ प्रमुख कारण है जैसे ऑक्सीजन बनाने क लिए फिल्टर्ड पानी क...